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साथियों अलग-अलग प्रकार के धातु के बर्तनो में भोजन करने से क्या लाभ और हानि होती है ? चलिए इस महत्वपूर्ण जानकारी को आपके साथ साझा करते है।
दोस्तों आगे बढ़ने से पहले आपको ये बता दूँ की हमारे जो पूर्वज थे वो सोने के बर्तन चाँदी के बर्तन कांस्य के बर्तन मिट्टी के बर्तन आदि का इस्तेमाल करते थे। इन बर्तनो के इस्तेमाल से उन्हें इसके पोषक तत्व स्वतः ही प्राप्त हो जाते थे। आपने सुना भी होगा या देखा भी होगा की किसी के दादा दादी या नाना नानी की उम्र 100 के पार चली गयी है। या किसी की 100 की उम्र तक भी वो कभी बीमार नहीं पड़े। और भी आपने ऐसी ही बहुत सारी बातें सुनी होगी। पार क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की कि, वो इतनी ज्यादा उम्र में निरोग तथा दीर्घायु को कैसे प्राप्त कर सके। नहीं ना ! लेकिन आपको कभी मौका मिले तो आप अपने सवाल उनसे जरूर पूछना। क्योकि हो सकता है आपको कुछ ऐसी जानकारी मिल जाये जो मेरे पास नहीं हो। यदि ऐसा हुआ तो मेरे साथ भी जरूर शेयर करना।
साथियों उनकी इस निरोग काया तथा दीर्घायु शरीर का राज है कि वो भोजन का इस्तेमाल किस बर्तन में करते है। जिससे उनके शरीर को वो भी पौष्टिक तत्व मिल जाते थे जो भोजन में नहीं रहते थे। आज हम आपको कुछ धातु से बने बर्तनो में भोजन के इस्तेमाल से होने वाले फायदे के बारे में बताएँगे। मुझे उम्मीद है कि आपको ये जानकारी सोचने पार मजबूर कर देगी कि आपने अब तक इसका इस्तेमाल क्यों नहीं किया।
सोने के बर्तन
दोस्तों सोने के बर्तन का नाम सुन कर तो आप अपने दांतो तले उंगलिया दबा लेंगे। क्यों कि यह आज कितना महंगा है। पर उस समय लोग सोने के बर्तनो का इस्तेमाल करते थे। सोना एक बहुत ही गर्म धातु है। इसमें भोजन बनाने के साथ-साथ भोजन करने से हमारे शरीर को अंदर तथा बहार दोनों तरफ से फायदा मिलता है। हमारा शरीर दोनों तरफ से मजबूत तथा ताकतवर बनता है। तथा सोने के बर्तनो में मौजूद पोषक तत्व हमारी आँखों कि रौशनी बढ़ने में मदत करते है। सोना आभूषण के साथ-साथ हमारे शरीर को भी सुरक्षा एवं सौंदर्य प्रदान करता है।
चाँदी के बर्तन
दोस्तों चाँदी एक शीतल धातु है। जो हमारे शरीर को अंदर से ठंढक पहुंचाती है। हमारे शरीर को शांत रखने में मदत करती है। चाँदी के बर्तन में भोजन बनाने और भोजन करने से हमारे शरीर को बहुत लाभ मिलता है। चाँदी हमारे दिमाग को तेज करती है, पित्तदोष को दूर करती है, कफ को नियंत्रित रखती है। वायुदोष नियंत्रण में रहता है, चाँदी हमारी आँखों कि रौशनी बढ़ने में मदत करती है। यह भी हमारे शरीर को गहनों से सुन्दर तो बनती है और अंदर से भी मजबूती प्रदान करती है।
कांस्य के बर्तन
दोस्तों कांस्य के बर्तनो में खाना नहीं बनाते है। उसमे सिर्फ भोजन किया जाता है। कांस्य के बर्तनो में भोजन करने से रक्त में शुद्धता आती है। रक्तपित शांत होता है। कांस्य के बर्तन में भोजन करने से भूख बढ़ती है। इसमें भोजन करने से बुद्धि तेज होती है।
सावधानी :- दोस्तों कांस्य के बर्तनो में खट्टी चीजे नहीं परोसनी चाहिए और ना हीं खानी चाहिए। क्योंकि खट्टी चीजे कांस्य से रासायनिक क्रिया करके उसे विषैला बना देती है। जो कि हमारे शरीर के लिए काफी नुकसान दायक हो जाता है।
ताम्बे के बर्तन
दोस्तों ताम्बे के बर्तन का उपयोग केवल जल पिने के लिए किया जाता है। इसमें जल पीने से शरीर रोग मुक्त होता है। हमारा रक्त शुद्ध होता है। हमारी याददास्त (स्मरण शक्ति) बढ़ती है। ताम्बे के बर्तन में पानी पीने से लीवर सम्बंधित समस्यांए दूर होती है। इसका पानी शरीर के विषैले तत्वों को दूर करता है। इसलिए ताम्बे के पात्र में रखा हुआ जल हमारे शरीर के लिए सबसे उत्तम होता है।
सावधानी:- ताम्बे के बर्तनो में दूध या दही का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इससे शरीर को नुकसान होता है।
पीतल के बर्तन
दोस्तों पीतल के पात्र में भोजन पकने तथा भोजन करने से भी हमारे शरीर को बहुत लाभ प्राप्त होता है। इसमें भोजन करने से कृमि रोग, कफ और वायुदोष जैसी गंभीर बीमारी नहीं होती है। पीतल के बर्तन में खाना बनाने से केवल 7 % ही पोषक तत्व नस्ट होते है।
लोहे के बर्तन
लोहे के बर्तनो में पका हुआ भोजन लौहतत्व से भरपूर होता है जोकि हमारे शरीर के लिए बहुत ही लाभप्रद होता है। वह भोजन करने से हमारे शरीर कि शक्ति बढ़ती है। लोहा कई रोगों को ख़तम करता है। जैसे पाण्डु रोग मिटाता है, यह हमारे शरीर में सूजन और पीला पन नहीं आने देता है, लोहा कामला रोग को ख़त्म करता है, लौहतत्व पीलिया रोग नहीं होने देता। लोहे में दूध उबालने से उसमे पोषक तत्व बढ़ जाता है ,
सावधानी:- लोहे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए। क्योकि इससे बुद्धि कम हो जाती है। और दिमाग धीरे धीरे नाश हो जाता है।
स्टील के बर्तन
स्टील के बर्तनो की खासियत यह है की इनका किसी से कोई लेना देना नहीं होता। मतलब स्टील को गर्म करे तो यह कोई भी रासायनिक क्रिया नहीं करता है और ना ही खट्टी चीजों से (अम्ल) कोई रासायनिक क्रिया करता है। इसलिए इससे कोई नुकसान नहीं होता है।
स्टील के बर्तन में खाना बनाने से लेकर खाना खाने तक हमारे शरीर को कोई भी फायदा नहीं मिलता है। सिर्फ भोजन के पौस्टिक तत्व ही हमें प्राप्त होते है। इसके बर्तनो से हमारे शरीर को कोई नुकसान नहीं होता है।
एल्युमीनियम के बर्तन
दोस्तों एल्युमीनियम के बर्तन में खाना बनाने से लेकर खाना खाने तक हमारे शरीर को सिर्फ नुकसान ही होता है। क्योंकि या बोक्साईट का बना रहता है। एल्युमीनियम आयरन और कैल्शियम को सोखता है। जिससे हमारे शरीर की हड्डिया कमजोर होती है। मानसिक बीमारी होती है। हमारे लीवर और नर्वस सिस्टम धीरे धीरे ख़राब होते है। किडनी फेल होने का डर रहता है। टीबी, अस्थमा, दमा शुगर आदि जैसी गंभीर बीमारिया हमारे शरीर को घेर लेती है।
दोस्तों एल्युमीनियम के प्रेशर कुकर में बने खाने से 87 % पोषक तत्व नष्ट हो जाते है। अब आप खुद ही सोचिए की क्या हमें एल्युमीनियम के बर्तनो का उपयोग करना चाहिए।
मिट्टी के बर्तन
साथियों हमारा यह शरीर भी पांच तत्वों से मिलकर बना हुआ है। जिसमे मिट्टी प्रधान है। इसलिए मिट्टी के बर्तनो में बने खाने में ऐसे-ऐसे पोषक तत्व मिलते है जो हर बीमारी से हमारे शरीर को दूर रखते है। आज का साइंस इस बात को साबित कर चूका है। इसके हिसाब से यदि आपको भोजन में पौस्टिक तत्व और स्वाद चाहिए तो खाने को धीरे-धीरे ही पकाना चाहिए। आजके ज़माने में भले ही थोड़ा वक्त कम है लेकिन खाने के साथ समझौता नहीं करना चाहिए। मिट्टी के बर्तनो में बने खाने से शरीर को पूरा लाभ मिलता है। इसमें खाना बनाने से लेकर खाना खाने से शरीर से कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते है।
आज भी गावो में कई जगह लोग मिट्टी के बर्तनो में ही दूध को गर्म कर के रखते है। दूध से कई प्रकार के व्यंजन बनाने के लिए आज भी मिट्टी के बर्तनो का उपयोग किया जाता है। मिट्टी के बर्तन का दूध और दही आप एक बार खा कर जरूर देखना आपको उसका स्वाद जिंदगी भर नहीं भूलेगा। मिट्टी के बर्तन में खाना खाने से अलग ही स्वाद आता है।
यदि आपने ट्रेन का सफर किया है तो आपको कई बार कुल्हड़ में चाय मिली होगी उस चाय और गिलास की चाय में क्या फर्क है आपको समझ आ जायेगा। मिट्टी के बर्तन में बने भोजन को मिट्टी के बर्तन में खाने से पुरे 100 % पोषक तत्व मिलते है।
प्लास्टिक में भोजन
दोस्तों प्लास्टिक की थाली या पल्स्टिक की थैली में भोजन करना स्वस्थ के लिए हानिकारक होता है। क्योंकि गर्म खाना जब प्लास्टिक के संपर्क में आता है तो खाने में प्लास्टिक के कुछ तत्व मिल जाते है। और वह भोजन हमारे स्वस्थ के लिए हानिकारक होता है। इसलिए ना तो प्लास्टिक की थाली में भोजन करें और ना ही प्लास्टिक की थैलियों में भोजन ले कर जाये।
पेपर पर भोजन
साथियों आजकल बहुत से लोग पेपर के ऊपर ही भोजन कर लेते है। जैसे समोसे,पिज्जा, कचोरियाँ आदि इन भोजन को पेपर पर रख कर नहीं खाना चाहिए। क्योंकि पेपर की जो स्याही होती है उसमे केमिकल होता है और वह केमिकल खाने के साथ हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है जो की हमारे स्वास्थ के लिए जहर का काम करता है। इसलिए पेपर पर भोजन या नाश्ता कभी भी गलती से ना करे। नहीं तो इसके भयंकर परिणाम आपको भुगतना पड़ेगा।
पत्ते पर भोजन
दोस्तों यह सबसे पवित्र होता है। पहले के समय में शादी-ब्याह में लोग पत्तो पर ही भोजन परोसते थे। चाहे घर में कोई भी कार्यक्रम हो पत्तल पर ही भोजन दिया जाता था। पत्तो पर भोजन करने से कोई नुकसान नहीं होता। उसके पोषक तत्त्व भोजन में मिल कर खाने का स्वाद बढ़ाते है और हमारे शरीर के लिए लाभदायक होते है। यदि आपके पास कोई विकल्प ना हो तो पत्तल पर भोजन किया जा सकता है।
पानी
साथियों जब खाने की बात हो रही है तो पानी कैसे छूट सकता है। पानी पिने के लिए ताम्बा, कांच या स्फटिक के बने बर्तन का उपयोग करना चाहिए। ताम्बे के बर्तन का पानी हमारे शरीर के लिए सबसे उत्तम होता है। यदि ये सब लेना संभव ना हो तो आप मिट्टी के बर्तनो का उपयोग कर सकते है। इसका पानी शीतल और स्वच्छ होता है। और हमारे शरीर के लिए लाभप्रद होता है। एक बात और टूटे बर्तनो में कभी भी पानी नहीं पीना चाहिए।
साथियों आपको यदि किसी धातु के बारे में अधिक जानकारी चाहिए तो कमेंट में जरूर कहे। मै आपको वह जानकारी देने की पूरी कोशिश करूँगा। और बहुत जल्द ही आपके लिए एक नई जानकारी ले कर हाजिर होऊंगा। इसी वादे के साथ आपसे विदा लेता हूँ।
धन्यवाद् !
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