How many types of Rudraksha ? : 27 types of rudraksha : All information about Rudraksha : only4us

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रुद्राक्ष के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ जो आपको जानना बहुत जरुरी है।


रुद्राक्ष 27 प्रकार के होते है क्या आपको पता है ?



नमस्कार दोस्तों, 

वैसे तो आपने रुद्राक्ष को तो देखा ही है, और लगभग आप को उनके मुखों के बारे में भी पता होगा। परन्तु दोस्तों आपको, रुद्राक्ष कितने प्रकार के होते है यह नहीं पता होगा। अगर पता है तो अच्छी बात है, और यदि नहीं पता है तो चलिए आज हम आपको बताते है, की रुद्राक्ष किनते प्रकार के होते है। पर उससे पहले आपको रुद्राक्ष से सम्बंधित कुछ जानकारियों को जान लेना आवश्यक है क्योकि अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है ये आप भी अच्छी तरह से जानते है तो चलिए शुरू करते है। 



रुद्राक्ष क्या है? 

रुद्राक्ष को भगवन शिवजी का प्रतिक माना जाता है। भोलेनाथ का भक्तो को दिया हुआ वरदान है रुद्राक्ष, जो भक्तो के सांसारिक दुखों को दूर करने में सक्षम है। रुद्राक्ष का मतलब रूद्र का अक्स  रुद्राक्ष। अर्थात यह दो शब्दों से मिलाकर बना है रुद्र + अक्स। (रूद्र का मतलब भोलेनाथ और अक्स का मतलब अश्रु  अर्थात भोलेनाथ के अश्रु) भगवन भोलेनाथ के अश्रु बिंदुओं से निर्मित है यह रुद्राक्ष। वैसे विज्ञानं की भाषा में यह एक वृक्ष के फल की गुठली है। भगवन भोलेनाथ और रुद्राक्ष ये दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू है। ये दोनों एक दूसरे से जुड़े है। और सदा हीं अपने भक्तो का कल्याण करते है। 


रुद्राक्ष के पेड़ (वृक्ष) कैसे होते है ?



आमतौर पर रुद्राक्ष के वृक्ष अन्य वृक्षों की तरह ही होते है। इस पेड़ की लम्बाई लगभग 50 फ़ीट से लेकर लगभग 200 फ़ीट तक की होती है। इस पेड़ के पत्ते हरे तथा लम्बे आकर के होते है।  इनके फूलों का सफ़ेद रंग होता है। रुद्राक्ष के पेड़ों पर लगने वाले फल आकर में लगभग गोल होते है। और उन फलों के अंदर में जो गुठली होती है उनको ही रुद्राक्ष कहते है। ये फल पकने के बाद स्वतः ही पेड़ से नीचे गिर जाते है। 


क्या आप रुद्राक्ष की महिमा जानते है ?


यदि आप भगवन भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करना चाहते है तो उनके मन्त्रों को रुद्राक्ष की माला से ही जप करना चाहिए। इससे मंत्र जल्दी सिद्ध हो जाते है। और हमारी मनोकामना पूरी हो जाती है। इसको पहनने से हमारे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसी उद्देश्य से प्रभु ने रुद्राक्ष को पृथ्वी पर प्रकट किया था।रुद्राक्ष की सबसे बड़ी महिमा यह है की इसे भगवन भोलेनाथ इसे स्वयं धारण करते है। 

रुद्राक्ष की उत्पत्ति कैसे हुई ?


दोस्तों इसके बारे में एक बहुत ही पुरानी कथा प्रचलित है। एक समय की बात है।  जब भगवान भोलेनाथ जब अपनी एक हजार वर्षों की तपस्या से जगे तो उनका मन सृष्टि की ओर जाने लगा। जब उन्होंने संसार को देखा तो उन्हें लगा की मेरी समाधी की अवस्था में संसार का क्या होता होगा ? मै तो समाधी में मग्न हो जाता हूँ , पर मेरे भक्त गणो का क्या होता होगा ? भोले बाबा के मन में संसार के कल्याण की कामना उत्पन्न हुई। और इसी के कारण जब उन्होंने अपनी आंखे बंद की तो उनकी आँखों से कुछ अश्रु धरती पर गिर पड़े। और उनसे ही रुद्राक्ष के पेड़ उत्पन्न हुए। उन पेड़ो पर जो फल लगे वे ही रुद्राक्ष कहलाये। और भगवान शिव को ये रुद्राक्ष बहुत पसंद है। ये रुद्राक्ष शिव रूप ही है। 

रुद्राक्ष कहाँ पहनना चाहिए ?



अक्सर लोग रुद्राक्ष को शरीर के अलग अलग हिस्सों में धारण करते है। जैसे कोई कलाई में पहनता है कोई गले में धारण करता है। कोई ह्रदय पर धारण करता है तो कोई भुजाओ में पहनता है। कई साधु लोग तो अपने सर की जटाओ में भी धारण करते है।  वैसे रुद्राक्ष को गले में धारण करना सर्वोत्तम होता है। 



रुद्राक्ष क्यों धारण करना चाहिए?


रुद्राक्ष पहनने से एकाग्रता बढाती है तथा स्मरण शक्ति का विकास होता है  रुद्राक्ष पाप नाश करने में सक्षम है, रोग नाश करने में सक्षम है। रुद्राक्ष धारण करने से पुण्य में वृद्धि होती है। रुद्राक्ष धारण करने से सिद्धि प्राप्त होती है। रुद्राक्ष धारण करने वाला इस लोक में सुख भोग कर अंत में मरणोपरांत मोक्ष को प्राप्त होता है। 

रुद्राक्ष पहनने से क्या लाभ (फायदे) होते है ?

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रुद्राक्ष का उपयोग प्राचीन कल से ही आध्यात्मिक लाभ के लिए किया जाता है। यह शारीरिक और मानसिक संतुलन हमेशा बनाये रखता है। लष्मी प्राप्ति के लिए, सुरक्षा के लिए, ग्रह शांति के लिए, मानसिक शांति के लिए तथा व्यापर वृद्धि के लिए रुद्राक्ष का उपयोग किया जाता है। रुद्राक्ष से आश्चर्यजनक लाभ होते है और इसका प्रभाव एक दम सटीक रहता है। रुद्राक्ष से लाभ प्राप्त करने के लिए इसे नियम से धारण करना बहुत जरुरी है। तभी यह अपना प्रभाव दिखा पता है। यदि रुद्राक्ष को गलत तरीके से धारण किया जाये, बगैर नियम से तो इसके लाभ प्राप्त नहीं होते है। उल्टा आप को यह नुकसान दे सकता है। इस लिए आप कोई भी रुद्राक्ष धारण करे। पुरे नियम के साथ ही इसे उपयोग में ले। 


साइंस के हिसाब से रुद्राक्ष धारण करने से क्या फायदा मिलता है?


वैज्ञानि परिक्षण में ये बातें सामने आयी है की रुद्राक्ष पहनने से कई शारीरिक समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है।  रुद्राक्ष के पहनने से ह्रदय रोग में बहुत आराम मिलता है। इसके पहनने से हमारा ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है। साथ ही यदि कोई रोग हो तो उसमे भी यह बहुत प्रभाव शाली देखा गया है। रुद्राक्ष से शोक, चोट बाहरी प्रभाव या विष प्रहार में भी सहायक सिद्ध होता है।  रुद्राक्ष के धारण से बाँझपन और नपुंसकता भी खत्म हो जाते है। 


आध्यात्मिक दृष्टि से रुद्राक्ष धारण करने के क्या लाभ मिलता है ?



वैसे तो दोस्तों रुद्राक्ष धारण करने से लाभ ही लाभ है। पर आध्यत्म की दृष्टि से कुछ विशेष लाभ है। जैसे की आप के ऊपर स्त्री हत्या का पाप है तो आप तीन मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते है। इससे स्त्री हत्या का पाप भी समाप्त हो जाता है। यदि आप के ऊपर सोने की चोरी का मिथ्या आरोप है तो आप सात मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते है। इसके धारण करने से सोने की चोरी जैसे आरोपों से छुटकारा मिल जाता है। और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। तथा हमारी सभी मनोकामना पूरी होती है। 

शरीर के किस हिस्से में कितने रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ?


वैसे तो सकारात्मक ऊर्जा के लिए हमारे शरीर में एक रुद्राक्ष भी काफी होता है।  परन्तु जल्दी प्रभाव के लिए शरीर के अलग अलग हिस्सों में रुद्राक्ष को इस प्रकार धारण किया जाता है। यदि आप कलाई में पहनते है तो कलाई में बारह (12) रुद्राक्ष पहनते है। यदि आप कंठ में पहनते हो तो कंठ की संख्या छतीस (36) निर्धारित की गयी है। और ह्रदय के लिए एक सौ आठ (108) का नियम है। एक बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए की आप रुद्राक्ष कही भी धारण करे पर वह लाल धागे में ही होना चाहिए। 

रुद्राक्ष को कब धारण करना चाहिए ?



वैसे तो किसी भी सोमवार के दिन आप रुद्राक्ष को धारण कर सकते है। पर यदि आप जल्दी प्रभाव चाहते है तो श्रावण महीने में किसी भी सोमवार के दिन आप इसे पहन सकते है। शिवरात्रि के दिन धारण किया हुआ रुद्राक्ष बहुत जल्दी प्रभाव दिखता है। और हाँ एक बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए की जो व्यक्ति रुद्राक्ष धारण कर रहा है वह सात्विक रहे। सात्विक का अर्थ है की वह किसी से झूठ न बोले, जबतक उसके शरीर पर रुद्राक्ष है वह लहसुन और प्याज का सेवन ना करे। अपना आचरण सदा शुद्ध रखे। उसके मन में किसी के प्रति द्वेष ना रहे। अगर इस प्रकार रुद्राक्ष धारण किया जाये तो उसका फल अतिशीघ्र प्राप्त होता है। और यदि इसके विपरीत कार्य किया गया तो इसका फल प्राप्त नहीं होता है, उल्टा नुकसान होता है। 

रुद्राक्ष को कौन पहन (धारण ) सकता है ? 


रुद्राक्ष यह भगवन भोलेनाथ का दिया हुआ प्रसाद है। जो की सबके लिए बराबर है। जिस प्रकार भगवन अपने भक्तो में फर्क नहीं समझते है उसी प्रकार उनका प्रसाद रूपी ये रुद्राक्ष भी सभी के लिए है। इसे कोई भी धारण कर सकता है। कोई भी स्त्री या पुरुष इसे पहन सकता है। किसी भी धर्म या जाती के लोग भी इसे पहन सकते है। हर मानसिक और शारीरिक स्थिति में ये लाभप्रद है। जीवन के किसी भी उम्र के लोग रुद्राक्ष पहन सकते है। कोई भी बच्चे, बड़े, बुजुर्ग या बीमार लोग इसे पहन सकते है। इसके धारण करने से उन्हें लाभ ही मिलेगा। इस प्रकार हर उम्र के लोगो के लिए एक वरदान है रुद्राक्ष। 

रुद्राक्ष धारण करने के क्या नियम है ?


सामान्यतः रुद्राक्ष को लाल, पीले या सफ़ेद धागे में ही पहनना चाहिए। याद रखें की रुद्राक्ष को कभी भी काले धागे में कभी भी ना धारण करे।  इससे भगवान भोलेनाथ रुष्ट हो सकते है। किसी भी रुद्राक्ष को धारण करते समय उसे शिवजी के लिंग को स्पर्श करवा कर ही पहनना चाहिए। रुद्राक्ष धारण करने से पहले उसे उसके मंत्र से अभिमंत्रित अवश्य करे। यदि आप को मंत्र पता है तो ठीक है।  यदि आप को मंत्र नहीं पता है तो ॐ नमः शिवाय के मंत्र से आप अभिमंत्रित कर सकते है। रुद्राक्ष धारण करने के बाद आप को प्रति दिन भगवान शिवजी की पूजा करनी चाहिए। यदि हो सके तो सुबह शाम दोनों समय भोले बाबा की पूजा करे।  इससे फल जल्दी मिलता है। 

रुद्राक्ष धारण करने के बाद क्या नहीं करना चाहिए ?



वैसे तो भोले बाबा बहुत ही भोले है। रुद्राक्ष धारण करने वाले लोग उनको बहुत ही प्रिय होते है। पर कुछ सावधानिया हमें अवश्य रखनी चाहिए नहीं तो भगवान शिवजी रुष्ट हो जाते है। और हमें इसके नकारात्मक परिणाम मिलते है।  तो आईये हम जानते है उन बातो को जो हमें रुद्राक्ष धारण करने के बाद ध्यान रखना है। 
सबसे पहले तो ये की रुद्राक्ष पहनने के बाद आप झूठ बोलना बंद कर दें। नहीं तो इसके नकारात्म परिणाम होते है। रुद्राक्ष धारण करने के बाद हमें शराब का सेवन बंद कर देना चाहिए। हमें मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। रुद्राक्ष धारण करने के बाद लहसुन और प्याज सदा के लिए वर्जित हो जाते है। आप उनका सेवन नहीं कर सकते है। यदि आप ने ऐसा किया तो रुद्राक्ष अशुद्ध हो जाता है।  और उसके नकारात्मक परिणाम होते है। और वह हमें कोई फल नहीं देता है। अतः हमें रुद्राक्ष धारण करने के बाद शुभ फल की प्राप्ति के लिए उपरोक्त बातो का जरूर  ध्यान रखना चाहिए। 

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नए रुद्राक्ष का इस्तेमाल कैसे करे ?


रुद्राक्ष के नए दानो का इस्तेमाल करने से पहले उन्हें 24 घंटे के लिए गाय के शुद्ध देसी घी में डुबाये रखे। जब चौबीस घंटे हो जाये तो उन्हें उसमे से निकल ले और फिर से 24 घंटे के लिए गाय के शुद्ध दूध में भिगोये रखे। तत्पश्चात उन्हें स्वच्छ एवं साफ कपडे से पोछ ले। याद रखे रुद्राक्ष के दानो के गलती से भी साबुन, शैम्पू, या कपडे धोने के पॉउडर से ना धोये। इससे आपके रुद्राक्ष के दाने ख़राब हो सकते है। रुद्राक्ष एक प्राकृतिक फल की गुठली है। इसका रंग सामान्य रहता है। और प्रोसेस के बाद शायद इसका रंग बदल सकता है। 


पुराने रुद्राक्ष का इस्तेमाल कैसे करें ?



वैसे तो रुद्राक्ष सालो तक चलते है। पर उनकी शक्ति (पावर) को बनाये रखने के लिए उन्हें हर 6 महीने में एक बार गाय के घी और दूध में 24 घंटे के लिए भीगा कर रखना चाहिए। इससे उनकी शक्ति कई गुना बाद जाती है, और वे फिर से प्रभाव शाली बन जाते है। 

रुद्राक्ष 27 प्रकार के होते है क्या आपको पता है ?


27 प्रकार के रुद्राक्षों के नाम जानकर आपको भी अच्छा लगेगा।  आज आप को सभी रुद्राक्षों के बारे में पता चलेगा।  और साथ में ये भी पता चलेगा की कौन से रुद्राक्ष का क्या काम है इससे आप को यह सुनिश्चित करने में आसानी होगी की आपके लिए कौन सा रुद्राक्ष है। आपके व्यापर की वृद्धि के लिए कौन सा रुद्राक्ष चाहिए। घर में सुख शांति के लिए कौनसा रुद्राक्ष चाहिए। ऐसे ही सभी रुद्राक्षों के लाभ और उनके कार्य तथा वे किस राशि से सम्बंधित है यह सब जानकारी आज आप को इस पोस्ट में मिलेगी। 




     

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