What is the secret of success? : key to success : सफलता का मंत्र क्या है?

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What is the secret of success? (सफलता का मंत्र क्या है?)


हेलो फ्रेंड्स,



शत्रुओं को पहचाने

क्रोध मद लोभ ईर्ष्या आदि यह सभी छुपे  हुए शत्रु हैं, किंतु भय इनमें सबसे बड़ा शत्रु है. यदि आप भय से मुक्ति पा लें, तो समझ लीजिए कि आपने अपने सबसे बड़े दुश्मन से छुटकारा पा लिया। जापानी लोक कथा के अनुसार एक व्यक्ति को एक भयंकर दानव हमेशा तंग किया करता था इस कारण वह उस दानव से सदा परेशान रहता था एक दिन उसने दानव  से पूछा कि मुझे तंग क्यों करते रहते हो. आखिर मेरा दोष क्या है इस पर वह दानव बोला अपने दुखों के लिए तुम स्वयं ही दोषी हो. क्योंकि उनका निर्माण तो तुमने  स्वयं ही किया है इस प्रकार आज संपूर्ण मानव जाति कष्ट पा रही है. आपको मालूम है कि उस दानव का नाम क्या है. आप समझ रहे होंगे कि वह दानव रोग मृत्यु शोक आती भी हो सकता है लेकिन नहीं। इनमें से कोई नहीं है हमारा जिस दानव  की ओर इशारा है वह है इन सब का सम्राट अर्थात भय। सफलता का मंत्र क्या है?

इसी धाराओं ने आज विश्व मानव को बेहाल कर रखा है. ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना मानव आज इतना कमजोर हो गया है कि वह उसके आगे बेबस हो जाता है किस राक्षस के वश में होकर मनुष्य अपना आत्म गौरव अपनी सामर्थ्य और अपने आत्मविश्वास को भूल जाता है तो उसके चंगुल में इस प्रकार फंस जाता है कि उसे उससे मुक्ति का रास्ता ही नहीं दिखाई देता परिणाम स्वरूप निराशा असफलता भूख निर्धनता रोग आदि  उसकी ओर  मुंह बाए खड़े हो जाते हैं.


ऐसी स्थिति मैं पृथ्वी पर शासन करने वाला मनुष्य एक छोटे से भय के हाथों कठपुतली बन जाता है लेकिन वह यह नहीं जानता कि भय का निर्माण तो उसने स्वयं ही किया है.  दरअसल चिंता से भय की उत्पत्ति होती है जिसे मनुष्य के विचार और उसकी कल्पना ही जन्म देते हैं लेकिन यह सच है कि जब उसे यह ज्ञात हो जाता है कि उसका महानतम शत्रु है है तो वह उसका समूल नाश कर देता है.


इसके लिए आवश्यकता सिर्फ इस बात की होती है कि हम अपने विचारों कल्पनाओं को कैसे नियंत्रित करें हमारे दिल में है तभी उत्पन्न होता है जब हमारा मन दुर्बल होता है विचार एवं कल्पनाएं क्षीण होती हैं जब हम अपने मन को नियंत्रित नहीं रख पाते तो भय  के शिकार हो जाते हैं यदि हम अपने मन को सूत्रीय और संयमित रखें तो भय का कोई भी कारक हमारे मन को किसी प्रकार से प्रभावित नहीं कर सकेगा किंतु मन की शुद्धता एवं संयम कैसे प्राप्त हो इसके लिए चाहिए आत्मबल। आत्मबल से मिलती है जीत।

आत्मबलद द्वारा  मुकाबला करो

आप निकट भविष्य में किसी प्रतियोगी परीक्षा में बैठने जा रहे हैं तो आप सूर्य और संयमित ढंग से अध्ययन करेंगे लेकिन ऐसा तभी होगा जब आपका मन सफल होगा यदि आप बीरबल मन वाले हैं स्वभाव से भावुक हैं तो परीक्षा की तैयारी को लेकर भय की भावना आपके अवचेतन मन में मंडराने लगेगी इस प्रकार उत्पन्न भय पड़ता जाएगा जब तक परीक्षा की निश्चित तिथि नहीं आ जाती यदि आपका मन स्थिर एवं सुधरी है तो आपको किसी भी प्रकार की परिस्थितियों में रूपी अपने जाल में नहीं फंसा सकती यदि आप द्वार ही नहीं खेलोगे तो कैसे भीतर आएगा, भय के साथ भी यही बात लागू होती है.


यदि हम अपने मन को शुद्ध बनाए रखेंगे तो वह हमारे पास भटके गा भी नहीं हमारी इच्छा के विरुद्ध हमारे मन में भय का प्रवेश करते ही संभव नहीं है इसके लिए हमें अपनी इच्छा शक्ति आत्मबल और आत्म संयम को मजबूत बनाना होगा इच्छाशक्ति और आत्मबल सुदृढ़ होने पर कभी मन में समा ही नहीं सकता इस प्रकार हम भय से उत्पन्न अनेक परेशानियों से बच सकते हैं यह हमारे और आपके अधीन है कि हम केवल उन्हीं बातों को अपने दिल में स्थान दें जो आनंद शांति स्थिरता समन्वय और सामंजस्य को बढ़ावा देती है किंतु अगर आपने अपने मन का द्वार भय के लिए एक बार भी खोल दिया तो फिर निद्रा विश्राम एकाग्रता कार्य शक्ति शांति सुख आदि से आपका संबंध टूट जाएगा बहरुपिया  महानतम दानव जब एक बार हमारे मन पर हमला करके उसमें अपना घर बना लेता है तो हम उसे आसानी से नहीं निकाल पाते इससे हमारे प्रत्येक कार्य एवं प्रयत्न विफल होने लगते हैं उसके आगे हम कुछ बन कर रह जाते हैं लेकिन इसके लिए तो हम स्वयं ही उत्तरदाई हैं.

हमने ही तो अपने विचारों एवं कल्पनाओं से अपना जीवन दुख पूर्ण बनाया है अपनी सुख शांति को अलविदा कहा है अपने कार्य तत्परता को नष्ट किया है भाई का कार्यकुशलता का शत्रु है यदि आप स्वभाव से संकोची भावुक और और स्थिर मन वाले हैं तो भय की भावना आपके दिल में बहुत सी कहीं अपना स्थान बना लेगी इससे आपकी कार्यकुशलता पर असर पड़ेगा आप भाई ग्रस्त इसलिए होते हैं कि आप अपने मन को सुदृढ़ और स्थिर नहीं रख पाते अपनी सामर्थ्य कार्य शक्ति और आत्मबल के प्रति जागरूक नहीं हो पाते।


भय का मुख्य कारण यह है कि हम स्वयं को अपेक्षित और असहाय समझते हैं जिसे ईश्वर ने संघर्ष के लिए करने के लिए पृथ्वी पर भेजा है यह विचार ही हमारे मनोबल को क्षीण करता है और हम सफलता के बजाय असफलता दुख के बजाय सुख के बजाय दुख और संपन्नता की जगह विपन्नता भोगने को बाध्य हो जाते हैं यदि हम साहस इच्छाशक्ति आत्मबल भावनाओं का समावेश करें तो वह के भूत को भागते देर नहीं लगेगी इससे हमारी कार्यक्षमता आत्मविश्वास व आत्म गौरव में वृद्धि होगी तथा हमें अपने लक्ष्य प्राप्ति में सफलता प्राप्त होगी।


सफलता का मूल

व्यक्ति सदा ही सफलता का अभिलाषी रहा है इसके लिए वह प्रयत्न भी करता है मगर उसके अवचेतन मन में अब फसल और सफलता काम है पहले से समा जाता है वह यह नहीं सोचता है कि जब वह सफलता के स्रोत से अपना रिश्ता जोड़ लेगा तो असफलता की संभावना स्वयं ही समाप्त हो जाएगी लेकिन यह विचार करने की बजाय वह दूध और मिठाई को एक ही बर्तन में रखकर सफलता रूपी दूध का नाश कर देता है हम जो कार्य करें सिर्फ उसकी आशा ही करें सफलता के व्रत में असफलताओं का सोच विचार क्या अनुचित नहीं है.

सुखचैन संपन्नता सफलता आज का मूल आशावादी चिंतन में होता है सफलता प्राप्ति के लिए यदि हम पहले से ही असफलता का चिंतन करने लगे तो सफलता का दूर-दूर तक दर्शन नहीं हो पाएगा असफलता ही हमारे हाथ लगेगी यदि आप किसी कार्य में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो सर्वप्रथम आप असफलता के विषय में सोचना बंद करें क्योंकि असफलता आपका प्रमुख शत्रु है इसके कारण आप निरुत्साहत होंगे।

जब व्यक्ति पर वास्तविक आपत्ति आप पड़े तो उसे अपने पूर्ण उत्साह और धैर्य से उसका मुकाबला करना चाहिए। उस समय व्यक्ति को अपने संपूर्ण गुणों और हर प्रकार की योग्यता द्वारा उसका सामना करना चाहिए। समय वही होता है जब वह अपनी योग्यता का परिचय दे सकता है ऐसे समय भी यदि आप कार्य को छोड़कर चिंता में लीन हो जाते हैं तो आप अपनी गति को ब्रेक लगाते हैं और अपनी सफलता में स्वयं बाधक बनते हैं।

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सफल होने की कामना करने वाले व्यक्ति को भय से सर्वदा दूर रहना चाहिए। किसी भी प्रकार का भय आपकी उस शक्ति को खा जाता है जिसके वेग से आप सफलता की ओर बढ़ने में सक्षम है। भय कार्य के प्रति आपके उत्साह को ठंडा कर देता है। भय का विचार शरीर की मांसपेशियों को शिथिल कर देता है। भय दृष्टि को धुंधला बना देता है। आपका भय किसी कार्य में सफल होने की आप की सारी संभावनाओं को समाप्त कर देता है। अतः इसे कभी भी अपने मन में स्थान ना दे।


जब आप किसी बात की चिंता करते करते कई रातें करवटें बदलते हुए बिता देते हैं तो आपने अनुभव किया होगा की समस्या तो वैसी की वैसी ही है परंतु आपका तन मन थक कर टूट चुका होता है। इससे यह स्पष्ट होता है की चिंता ने आपकी समस्या को सुलझाने में कोई मदद नहीं की कोई सहायता नहीं पहुंचाई बल्कि उसके स्थान पर शरीर और मन में कार्य करने की जो शक्ति थी उसे नष्ट कर दिया ऐसी स्थिति में भाई को मन में जगह देना कहां तक उचित है।

जिस प्रकार एक किसान अपने गायों को मक्खियों और मच्छरों से बचा कर रखता है ताकि वे पूरा दूध दें। उसी प्रकार हमें अपने मस्तिष्क को चिंता और भय से मुक्त करना होगा तभी हमारा मस्तिष्क सही ढंग से कार्य कर पाएगा। सही ढंग से किए हुए कार्य का अर्थ संतुलित ढंग से किया हुआ कार्य है परंतु संतुलित ढंग से किया कार्य का अर्थ है मन और शरीर दोनों से संतुलित होना जबकि भय और चिंता इन दोनों को ही असंतुलित की रहती हैं।

प्रायः यह कहा जाता है कि मनुष्य निरंतर जिस वस्तु की कामना अथवा प्रतीक्षा करता है उसे प्राप्त कर ही लेता है परंतु जब मन लगातार भय और चिंता में ही लगा रहेगा और वह पूर्ण घटनाओं की आशंका पर विचार करता रहेगा तो उसे भय और चिंता ही तो प्राप्त होंगे दूसरी किसी उपलब्धि की तो कल्पना ही नहीं की जा सकती। इसीलिए अपने मन को भय और चिंता से मुक्त रखिए और आप जो भी कार्य कर रहे हैं उसमें अपनी संपूर्ण शक्ति लगा दीजिए फिर देखिए सफलता कैसे आपके कदम चूमती है।
 

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Hello friends,

Recognize enemies

Anger, greed, jealousy etc. These are all hidden enemies, but fear is the biggest enemy among them. If you can get rid of fear, then understand that you have got rid of your worst enemy. According to the Japanese folk tale, a person was always bullied by a terrible demon, so he was always upset with that demon. One day he asked the demon why you keep harassing me. After all, what is my fault, the demon said, you are guilty of your own suffering. Because you have built them yourself, thus today the entire human race is suffering. You know what the name of that demon is. You may understand that that demon disease may be mourning death but it is not. None of these is the demon towards whom we refer. What is the mantra of success?

These streams have made the world human today. The best creation of God, man has become so weak today that he becomes helpless in front of him. In the hands of which monster, man forgets his self-pride, his strength and his self-confidence, then gets trapped in his clutches in such a way that he There is no way of liberation, as a result, disappointment, failure, hunger, poverty, etc., stand towards him.

In such a situation, a man who rules the earth becomes a puppet in the hands of a small fear, but he does not know that he has created the fear himself. Actually, fear arises out of worry, which gives rise to the thoughts and imagination of man, but it is true that when he comes to know that he has the greatest enemy, then he completely destroys it.


The only requirement for this is that how we control our thoughts, thoughts, is in our heart only when our mind is weak thoughts and fantasies fade when we are unable to control our mind. If we keep our mind formulaic and restrained, then no factor of fear will affect our mind in any way, but pure mind How to obtain and restraint should be for it self. Victory meets self-power.

Compete with self-defense

If you are going to sit in a competitive exam in the near future, then you will study in a sun and restrained manner but this will happen only if your mind is successful, if you are a Birbal minded, you are emotional by nature, then your sense of fear about preparing for the exam The subconscious will start looming in the mind, thus the fear will be generated until the fixed date of the exam is reached, if your mind is stable and improved, then you will have any Like in situations of HE Government can not get into your trap if you come to inside play not only door, the same goes with fear.

If we keep our mind pure then it will not stray from us, nor will it be possible to enter fear in our mind against our will, for this we will have to strengthen our will power and self-restraint to strengthen the will power and self-power. But can never be in the mind, thus we can avoid many problems arising out of fear, it is up to us and you that we only do those things in our Give space in blood which promotes peace, peace, co-ordination and harmony, but if you open your mind to fear even once, then you will break your relationship with sleep, relaxation, concentration, work, peace, happiness etc. Bahurupia greatest demon when one Bar strikes our mind and builds its house in it, then we cannot remove it easily, because of this our every effort and efforts start to fail. May include are living next we become nothing but then we are ourselves responsible.


We have made our life unhappy with our thoughts and fantasies, have said goodbye to our happiness and peace, have destroyed our work readiness, brother is an enemy of efficiency. If you are a temperamental, emotional and stable mind, then the feeling of fear Many places will make a place in your heart, this will affect your efficiency. You are brother afflicted because you do not keep your mind strong and stable. Do not be able to become aware of your strength, work power and self-power.

The main reason for fear is that we consider ourselves hopeful and helpless which God has sent to the earth to do the struggle. This idea only weakens our morale and we fail instead of success and sadness instead of failure. And instead of prosperity, we are bound to suffer misfortune, if we include courageous willpower and strong feelings, then the ghost of it will not take long to run away from it. Self-confidence and self-pride will increase and we will get success in achieving our goals.

Root of success

A person has always aspired to success, he also tries to do this, but his subconscious mind now harvests and success is already done. He does not think that when he will connect his relationship with the source of success then he will fail. The possibility will be eliminated by itself, but instead of considering it, he puts milk and sweets in the same pot and destroys the milk of success. Consider bear thinking of failures in the fast is not unreasonable.

Sukhchain Prosperity Success Today's basic is in optimistic thinking, if we start thinking of failure before success, then give success

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