ॐ श्री दुर्गायै नमः

मेरे सभी प्यारे माता के भक्तों को मेरा नमस्कार,
दोस्तों वैसे तो जगत जननी माता दुर्गा जी सारे संसार की जननी है। सारा संसार उनकी ही संतान है। माता से अपने बच्चों का दुख छुपा हुआ नहीं रहता। वह सर्वव्यापी है सब जगह विद्यमान है। प्रकृति के प्रत्येक कण में उनका निवास है। संसार के समस्त प्राणियों के ह्रदय में माता का निवास है उनसे किसी का कोई भी दुख छुपा हुआ नहीं है उन्हें हर बात का ज्ञान है।
इस संसार में हर मनुष्य किसी ना किसी दुख से पीड़ित है। सभी को कोई ना कोई तकलीफ अवश्य है सभी माता के दरबार में जाकर अपनी हाजिरी लगाते हैं सभी मनुष्य अपने अपने इष्ट देव के आगे अपने मन की बात कहते हैं परंतु क्या उनके मन की बात उनके इष्ट देव तक पहुंचती है या नहीं।
अपनी बात अपने ईस्ट देव तक पहुंचने के लिए क्या करे। यह बहुत ही महत्वपूर्ण है। तो चलिए इसपर कुछ मंथन करते है। वैसे तो सर्व व्यापी जगत जननी माता जी हर जगह विद्यमान है। परन्तु जो काम हम श्रद्धा से करते है, जिस काम में हमारा मन लगता है। जो काम करना हमें अच्छा लगता है। जिसे हम दिल से चाहते है। वही मन की बात ऊपर वाला सुनता है।
चलिए इस बात को समझने की कोशिश करते है। मानलीजिए आप का मन किसी काम में नहीं लगता है और आप उसे बेमन से याने जबरदस्ती कर रहे हो तो वह काम सफल नहीं होगा क्योकि आप का मन उसमे नहीं है। आप कितना भी उसे अच्छा करने की कोशिश करो वह काम सफल नहीं होगा। और बाद में आप कहोगे की भगवान आप की सहायता नहीं कर रहा है। भगवान भी उनकी ही सहायता करता है जो अपनी सहायता करते है।
यदि आप के सामने कोई आप के मन पसंद का काम आ जाये तो आप उसे अच्छे से अच्छा करने की पूरी कोशिश करोगे, क्यों ? क्योकि वह आप के मन पसंद का काम है और आप उसे अच्छा कर भी सकते हो और आप अपना काम ख़तम करने के बाद कहोगे की भगवान की दया से मेरा काम सफल हो गया है। जबकि उसमे पूरी मेहनत आप की है, आप का पूरा मन उस काम में लगा था। उस काम को करने के लिए आप ने अपना सरवस्व लगा दिया।
आप के काम को करने के लिए भगवान धरती पर नहीं आएंगे। वह काम आप को ही करना होग। भगवान सिर्फ आप को रास्ता दिखाएंगे। और उस रस्ते पर चलना आप का काम है। उसे रस्ते को दिखाने के लिए हम भगवान से प्रार्थना करते है, उनकी पूजा अर्चना करते है। माता के दरबार में जाते है। और कहते है की हे माताजी मेरे इस नए काम में मेरी सहायता करना।
हमारी मनोकामना की पूर्ति के लिए कुछ मंत्र है जो हम नियमित पाठ करते है तो हमारी मनोकामना माताजी की कृपा से अवश्य पूरी होगी।
जो मनुष्य इस परम दुर्लभ मंत्र का नित्य पाठ करेगा, माता रानी की कृपा से उसके सारे बिगड़े काम बन जायेंगे और वह सब स्थानों पर विजय श्री को प्राप्त करेगा तथा मां भगवती स्वयं उसकी रक्षा करेंगी। और वह धन - धान्य से परिपूर्ण हो जाता है
१) ॐ दुर्ग दुर्गाय नमः। (२१)
२) ॐ श्री महालक्ष्मी नमः। (२१)
३) ॐ श्रीं ह्लीं श्रीं कमले कमलालए प्रसीद प्रसिद स्वाहा। (५१)
४) ॐ श्रीं नमः। (१०१) यह मंत्र लक्ष्मी जी को बहुत पसन्द है।
५) ॐ पिनाक धारणी नमस्तुभ्यम। (२१)
६) ॐ रत्न धारिणी नमो नमः। (२१)
मन की शांति के लिए निचे दिए गए मंत्र का पाठ करे। यकीन मानिये इस के पाठ से मन को बहुत शांति प्राप्त होती है।
७) ॐ चित्त रूपाय नमः। (२१)
८) ॐ सर्व विद्याय नमः । (२१)
९) ॐ माहेश्वरी नमो नमः । (२१)
उपरोक्त मंत्र का जो नित्य पाठ करता है उसकी सारी मनोकामना पूरी होती है तथा मां भगवती स्वयं उसकी रक्षा करती है
।।।।। जय माता दी ।।।।।
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